Monday, 30 December 2013

Khadi Saras Mela in Morabadi maidan, Ranchi 2013


































AMI MAANSI !

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  1. सरस मेला : 9 डिग्री पर ठिठुरता बचपन : सुभाष शेखर [ मीडिया मसाला ]

    28 दिसम्बर 2013 ::गांधी जी का सपना था कि हर कोई स्वालंबी बने, इसलिए उन्होंने खादी को अपनाया था और इसे बढ़ावा दिया था। गांधी जी ने तब अपने सभी वस्त्रों का त्याग कर एक कपड़े से शरीर ढकने का प्रण लिया था जब उन्होंने एक बच्चे और उसकी मां को बिना कपड़े असहाय अवस्था में देखा तब। तब उन्होंने महसूस किया था कि देश के लोग कितने गरीब हैं। उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं। तभी उन्होंने इसकी लड़ाई शुरू करने का मन बनाया।

    आज भी कुछ नहीं बदला है। अपने देश में गरीब जरूरतमंद लोग रोटी कपड़ा मकान जुटाने के लिए एड़ी चोटी एक करते हैं। अपने समाज ऐसा है जहां के बच्चे रोटी के जुगाड़ में अपना बचपन गंवा रहे हैं। कुछ ऐसा ही नजारा गांधी जी से प्रेरित झारखंड खादी ग्रामो़द्योग द्वारा आयोजित सरस मेला में भी देखा जा रहा है। इस मेले के द्वार पर बच्चों का बचपन और गांधी जी का सपना तार तार हो रहा है। मेले के बाहर खुली सड़क को वाहनों के पार्किंग के लिए इस्तेमाल के लिए ठेका पर दिया गया है। इस पार्किंग स्थल पर 10-12 साल के दर्जनों बच्चे पुर्जा काटने और गाडि़यों की रखवाली के लिए रखे गए हैं। इनमें से कईयों के पास सिर्फ पहनने को फटा पुरान सर्ट और पैंट है। रांची की 9 डिग्री सेंटीग्रेट की ठंढक में इन बच्चों के पास गर्म कपड़े भी नहीं है।
    झारखंड की राजधानी रांची के मोराबादी मैदान में आयोजित इस सरस मेला में देश भर के खादी बोर्ड और समितियां भाग ले रही हैं। अंदर 500 से ज्यादा स्टाॅल बने हुए हैं। 20 दिनों तक लगने वाले इस मेले में सभी ने अधिक से अधिक मुनाफा कमाने का टारगेट तय कर रखा है। यकीनन स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के मौके पर खादी पर भारी छूट रहती है। लेकिन यहां पर खादी के हरेक सामान की कीमत आसमान पर है।
    मुनाफा कमाने के इस होड़ में किसी का ध्यान मेला के बाहर काम करने वाले बच्चों पर नहीं जा रहा है। कड़ाके की ठंढ में रात के 11 बजे तक काम करने के बाद बच्चों को सिर्फ 50 रूपये देकर खामोश कर दिया जाता है। इससे वो खाये क्या और पहने क्या। गांधी के देश में गांधीगीरी करने वाले लोगों का ध्यान क्या कभी ऐसे बच्चों पर जाएगा।

    सुभाष शेखर [ मीडिया मसाला ]

    Blog Link ::http://mediamasaala.blogspot.in/2013/12/9.html

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